तारों के चिलमन से

तारों के चिलमन से मैंने तुम्हें देखा था,

प्यार क्या होता है, तुम्हीं ने तो बताया था,

अब ये आलम है कि ना तुम हो ना मैं,

सिर्फ़ है तो इकएहसास कि हम हैं, कहीं तो हैं…

 

विकास ने नित्या के हाथ से pen खींचा और bench पे उसके साथ बैठ गया।

 

“यार जब देखो तुम लिखती रहती हो!”

“अरे अब तुम अगर late आओगे तो मैं क्या करूँगी, ख़ाली तो नही बैठ सकती ना? चलो मेरी notebook वापस करो!”

“कर दूँगा, पहले देखूँ तो सही तुमने लिखा क्या है…”

“आ विकास please, कविता अभी पूरी नही हुई है!”

“तो चलो मैं पूरी कर देता हूँ, ह्म्म्म्म ‘तारों के चिलमन से’, वाह वाह क्या बात है!”

“विकास please मुझे ख़त्म करने दो, फिर पढ़ लेना, मैं सबसे पहले तुम्हें ही दिखाऊँगी, promise!”

“ok ok, चलो तुम भी क्या याद रखोगी, ये लो तुम्हारी notebook।“

 

नित्या ने नम्रता से विकास से बुक वापस ली और अपने बैग में रख दी।

 

“अब ये बताओ आज late कैसे हुए?”

“कोई काम आ गया था।“

“हर वक़्त तुम्हें काम ही तो होता है।“

“ओहो यार अब please फिर से start मत हो जाना।“

“fine! कुछ नही बोलूँगी।“

 

विकास ने नित्या को ग़ौर से देखा – हल्का साँवला रंग, चौढ़ा माथा, तीखे नैन नक़्श और नाक में नथनी। अपना हाथ उसके कंधे पे प्यार से रखके वो उसे निहार रहा था।

 

“ये तुम्हारी nose ring बड़ी जँचती है तुमपे।“

“अच्छा जी, पहले तो तुम इसे पसंद नही करते थे, अब क्या हो गया है!”

“अब आदत सी लग गई है तुम्हें ऐसे देखने की, अच्छी लगती है, कभी उतारना मत।“

“yes sir, और कुछ?”

“ह्म्म्म्म अब अगर तुमने पूछ ही लिया है तो… हाँ jeans और tshirt तुमपे ज़्यादा अच्छी लगती है, please वो बहनजियों वाले कुर्ते मत पहना करो।“

“excuse me, मुझे कुर्ते पहन्ना बहुत पसंद है, वो क्यूँ छोड़ूँ मैं?”

“बाबा तुम उसमें hot नही दिखती ना, इसलिए।“

“विकास बहुत हो गया।“

“अरे तुम्हीं ने तो पूछा कि मुझे और क्या क्या पसंद है!”

“हो गया हाँ, ग़लती की तुमसे पूछके!”

 

विकास ने प्यार से नित्या को देखा और अपने कंधे से उसका कंधा हल्के से झटका।

 

“तुम बताओ, तुम्हें मुझमें क्या पसंद है!”

 

नित्या ने शरारत भरी नज़रों से विकास को देखा। उसके चहरे पे मुस्कान थी।

 

“ह्म्म्म्म मालूम नही!”

“what do you mean मालूम नही?”

“अरे मतलब, मैंने कभी सोचा नही।“

“great! हम 6 साल से एक साथ हैं, और तुम्हें अभी तक ये नही मालूम कि तुम्हें मुझमें क्या पसंद है!”

“ओहो नाराज़ क्यूँ हो रहे हो?”

“नही तुम बैठो आराम से, ये भी बोल दो कि प्यार भी तुम्हें ग़लती से ही हो गया!”

 

विकास अपना मुँह दूसरी तरफ़ मोड़के बैठा गया। नित्या उसे मुस्कुराके देख रही थी। वो उठी और दूसरी तरफ़ विकास के सामने जाके खड़ी हो गई। उसने प्यार से उसके चहरे को सहलाया-

 

“इतनी जल्दी नाराज़ हो गए? मैं तो मज़ाक़ कर रही थी। ऐसा हो सकता है कि मुझे तुम में कुछ भी पसंद नही?”

 

विकास चुप था।

 

“अच्छा थोड़ा वहाँ पे खिसको ना, जगह तो दो बैठने की।“

 

विकास बेंच पे थोड़ा सा खिसका और नित्या उससे लगके बैठ गई।

 

“ह्म्म्म्म तो कहाँ से शुरू करूँ…ok तो मुझे तुम्हारे बाल पसंद है।“

“बाल?”

“हाँ अच्छे घने बाल हैं, इतने घने तो मेरे भी नही हैं!”

“और?”

“मुझे तुम्हारी आँखें पसंद हैं, बहुत expressive हैं!”

“अच्छा?”

“हाँ, तुम्हारे बोल तो बाद में तुम्हारे मुँह से निकलते हैं, उससे पहले तुम्हारी आँखें पूरा क़िस्सा बयान कर देती हैं!”

“ह्म्म्म्म I’m liking it, और?”

“और… मुझे अच्छा लगता है जब तुम मुझे दिन में 10 बार message करते हो ये पूछने के लिए कि मैं कहाँ हूँ, क्या कर रही हूँ।“

“अच्छा? मुझे अभी तक ऐसा लगता था कि तुम मेरी messaging से irritate होती हो!”

“होती हूँ, कभी कबार, लेकिन कुछ ऐसे भी पल होते हैं जहाँ अपने आप को बहुत अकेला महसूस करती हूँ, ऐसे पलों में तुम्हारा message अमृत का काम कर जाता है। ऐसा लगता है कि मैं अकेली नही हूँ, कोई है जो मेरे साथ हमेशा है।“

 

विकास मुस्कुराया और नित्या को चूमने के लिए थोड़ा आगे हुआ-

 

“अह एक और चीज़ है जो तुम्हारे बारे में मुझे बहुत अच्छी लगती है!”

“वाह्ह क्या बात है, तुम तो तारीफ़ों की नदियाँ बहाए जा रही हो।“

“कुछ ऐसा ही समझ लो, तुम्हारी नाक के साथ ये नीली shirt बिलकुल match नही कर रही है।“

“अरे तुम तो एक अच्छी बात कहने जा रही थी!”

“हाँ तो मुझे तुम्हारी pointed नाक पसंद है, ये नीली शर्ट नही।“

“वाह miss नित्या, आपका तो compliment करने का तरीक़ा ही निराला है…”

 

ये कहते ही विकास ने नित्या को ज़ोर से दबोच लिया और उसे चूमने ही वाला था कि-

 

“विकास, park की bench पे romance करना allowed नही है, पुलिस वाले से पिटना है क्या?”  “ओहो यार तुम डरती बहुत हो! एक ही तो kiss दे रहा था!”

 

विकास ने इस बार नित्या के गाल को हल्के से चूमा।

 

“बस इतना, देखो देखा किसी ने?”

 

नित्या के चहरे पे मुस्कुराहट थी।

 

“ऐ…क्या सोच रही हो?”

“यही कि तुम पागल हो!”

“अच्छा! और तुम पागल नही हो?”

“हाँ तुम्हारे साथ साथ मैं भी हो गई हूँ।“

“चलो अच्छा है, दो पागल मिलके प्यार की एक गाथा लिखेंगे।“

“क्या बात है, गाथा तो बहुत दूर की बात है, तुमसे तो एक line भी लिखी नही जाती।”

“अरे तो तुम लिख देना, मैं तुम्हें inspire करूँगा।“

“रहने दो, मैं तुम्हारा inspire करना जानती हूँ।“

“क्या जानती हो?”

“किसी क़िले में किसी बादशाह के मक़बरे में ले जाओगे और चीख़-चीख़ के उसकी ज़िंदगी के क़िस्से सुनाओगे।“

“हाँ तो उसमें बुरा क्या है, पुराने ज़माने के राजाओं को हमसे ज़्यादा अच्छा प्यार करना आता था।“

“अच्छा! वो कैसे?”

“सबसे पहले तो उनमें प्यार इतना ज़्यादा होता था कि एक रानी उनके प्यार के लिए कम पड़ जाती थी, इसलिए सौ रानियाँ रखते थे कि इतना सारा प्यार accommodateहो पाए, you see प्यार overflow नही होना चाहिए ना।“

“हाहाहाहाहा! क्या logic है!”

“अरे मैं बिलकुल ठीक बोल रहा हूँ, और फिर वही राजा उनमें से अपनी favourite रानी चुनके एक ताज महल जैसा मक़बरा तय्यार कर देता था, और अपने प्यार को अमर कर देता था।“

“तो विकास जी, आप अपना प्यार कैसे अमर करना चाहेंगे?”

“हमारा प्यार तो अमर हो गया ना!”

 

नित्या ने एक दम से विकास की आँखों में देखा। तभी पीछे से आवाज़ आई-

 

“अरे नित्या यहाँ क्या कर रही है? चल पार्क बंद होने वाला है।“

 

अपनी दोस्त बबली की आवाज़ सुनके नित्या हिल गई। होश सम्भाला तो एहसास हुआ कि bench पे वो अकेले बैठी थी। बबली उसके बग़ल में जाके बैठ गई।

 

“विकास याद आ गया?”

“चल, चलें।“

“नित्या, विकास को उस accident में गए हुए एक साल हो गया है। अब तो accept कर ले कि वो अब नही है।“

“वो हमेशा मेरे साथ है!”

 

नित्या ने अपना बैग उठाया और चल दी।

 

…तारों के चिलमन से मैंने तुम्हें देखा था,

प्यार क्या होता है, तुम्हीं ने तो बताया था,

अब ये आलम है कि ना तुम हो ना मैं,

सिर्फ़ है तो इक एहसास कि हम हैं, कहीं तो हैं…

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